युगे युगीन भारत संग्रहालय
केंद्र सरकार भारत के गौरवशाली अतीत से लेकर अभी तक की कहानी एक ही जगह लोगों को दिखाने के लिए रायसीना हिल इलाके ‘युगे युगीन भारत संग्रहालय’ बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं. अत्याधुनिक तकनीक और विशाल प्रदर्शनी हॉल से सुसज्जित यह संग्रहालय न सिर्फ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा बल्कि नई पीढ़ी के लिए इतिहास से जुड़ने का एक अद्वितीय जरिया बनेगा. रायसीना हिल पर नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बनने वाले 'युगे युगीन भारत संग्रहालय' परियोजना पर काम शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार संग्रहालय में प्रदर्शित की जाने वाली सामग्री के लिए एक विशेषज्ञ सलाहकार की तलाश में जुटी है.
कितना आएगा निर्माण पर खर्च?
पीटीआई के अनुसार एक दस्तावेज में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बनने वाली इस विशाल परियोजना के बारे में नई जानकारी सामने आई है, जहां वर्षों से पीएमओ, गृह, रक्षा और वित्त मंत्रालय स्थित हैं. दस्तावेज के मुताबिक 'युगे युगीन भारत संग्रहालय' 1.55 लाख वर्ग मीटर में फैला होगा और एक 'सांस्कृतिक स्थल' होगा जो अगले तीन वर्षों में बन सकता है. संग्रहालय के निर्माण पर कुल लागत 434 मिलियन डॉलर यानी 3800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आने की संभावना है.
सभी दीर्घाओं की होगी अलग पहचान
यह एक राष्ट्रीय संस्थान होगा जो भारतीय सभ्यता यात्रा और उसके विविध इतिहास, दर्शन, भौतिक संस्कृतियों और बौद्धिक परंपराओं के बारे में डिटेल जानकारी मुहैया कराएगा. इस परियोजना में 950 कमरे होंगे और 30 दीर्घाएं शामिल हैं, जो घर के अंदर, बाहर और आंगन में बनाई जाएंगी." ये दीर्घाएं विभिन्न समयावधियों और क्षेत्रों में परस्पर जुड़े विषयों को प्रस्तुत करने के लिए डिजाइन की जाएंगी, जो सावधानीपूर्वक तैयार किए गए संग्रहों, कथाओं और गहन अनुभवों के माध्यम से भारत की बहुलता और निरंतरता को उजागर करेंगी.
'युगे युगीन भारत संग्रहालय' सिल्क रोड, स्पाइस रूट और हिंद महासागर सर्किट जैसे वैश्विक नेटवर्क में भारत की महत्वपूर्ण स्थिति को उजागर करेगा और "सार्वजनिक जुड़ाव, सांस्कृतिक व्याख्या और ज्ञान प्रसार के एक स्थान" के रूप में उभरेगा.
इसके लिए सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने वाले सलाहकार को बड़े पैमाने पर संग्रहालय सामग्री विकास और संग्रह विश्लेषण में विशेषज्ञता हासिल होनी चाहिए, क्योंकि वह संग्रहालय के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप, दीर्घाओं के लिए अवधारणा, शोध और व्याख्यात्मक सामग्री और आख्यान तैयार करने के लिए जिम्मेदार होगा.
30 दीर्घाओं में से हर एक की वैचारिक पहचान अलग-अलग होगी. फिर भी एक एकीकृत, विषयगत रूप से सुसंगत आगंतुक अनुभव में सहज रूप से एकीकृत होगी. दस्तावेज में कहा गया है, "यह आख्यानात्मक दृष्टिकोण विद्वत्तापूर्ण शोध, वस्तु-आधारित विश्लेषण और दर्शकों-केंद्रित कहानी कहने पर आधारित होना चाहिए."
संग्रहालय के लिए देश भर से कलाकृतियों के साथ-साथ एकत्र किए जाएंगे. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सामग्री सार्वजनिक शिक्षा, सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व और मानवीय चिंतन के एक स्थान के रूप में संग्रहालय के उद्देश्य में सार्थक योगदान दे.
संग्रहालय की खासियत
यह संग्रहालय एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका का प्रतीक होगा. यह व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बौद्धिक संवाद को बढ़ावा देगा. दस्तावेज में कहा गया है कि इसकी विषय स्कूल समूहों, परिवारों, विद्वानों, पर्यटकों और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों को आकर्षित करने वाली होगी. कथा कैटेगरी में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, कालखंडों, भाषाओं, समुदायों और ज्ञान प्रणालियों में भारतीय सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की समृद्धि और विविधता सहेज कर रखा जाएगा. ताकि युगे युगीन भारत संग्रहालय सुसंगत और समावेशी संग्रहालय साबित हो सके.
ज्ञान-विज्ञान का बनेगा प्रतीक
युगे युगीन भारत संग्रहालय में 8 थीमैटिक खंड बनाने की योजना है, जो भारत के पांच हजार वर्षों के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और ज्ञान-संबंधी विकास की झलक दिखाएंगे. प्राचीन भारतीय ज्ञान (वैदिक, उपनिषद, चिकित्सा, नगर नियोजन), प्राचीन से मध्यकाल (मौर्य, गुप्त, चोल, विजयनगर, मुगल आदि), मध्यकालीन भारत, मध्यकालीन से आधुनिक संक्रमण काल, आधुनिक काल और स्वतंत्रता, उपनिवेशवाद (डच, ब्रिटिश, पुर्तगाली आदि), स्वतंत्रता संग्राम और 1947 के बाद के 100 साल जिसमें भारत की लोकतांत्रिक और आर्थिक प्रगति की झलक शामिल होगी.