रत्नेश कुशवाहा और पीएम मोदी
बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची में एक ऐसा नाम शामिल किया है जो हाल ही में चर्चित कानूनी लड़ाई से सुर्खियों में आया था. रत्नेश कुशवाहा वही वकील हैं जिन्होंने पीएम मोदी की मां के नाम पर बनाए गए फर्जी AI वीडियो के खिलाफ मोर्चा संभाला था. अब पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देकर सम्मानित किया है.
कौन हैं रत्नेश कुशवाहा?
रत्नेश कुशवाहा एक सरकारी वकील हैं जो पटना में प्रैक्टिस करते हैं. वे अपने पेशेवर जीवन में कई महत्वपूर्ण मामलों में शामिल रहे हैं और उनकी कानूनी विशेषज्ञता को सराहा गया है.
पीएम मोदी की मां AI वीडियो मामला
कुछ समय पहले कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक AI-जनित वीडियो पोस्ट किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को दिखाया गया था. इस वीडियो को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ और बीजेपी ने इसे प्रधानमंत्री की मां का अपमान बताया.
पटना हाई कोर्ट में रत्नेश कुशवाहा की याचिका
रत्नेश कुशवाहा ने इस मामले में पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने वीडियो को हटाने की मांग की थी. कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करते हुए वीडियो पर रोक लगा दी थी, जिससे रत्नेश की कानूनी विशेषज्ञता की सराहना हुई. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद रत्नेश कुशवाहा सुर्खियों में आए थे.
दरअसल, पेशे से वकील रत्नेश कुशवाहा कुम्हरार विधानसभा के मुसल्लहपुर के रहने वाले हैं. सुशील मोदी से उनका करीबी का रहा था. अभी पटना हाईकोर्ट में वकील हैं. करीब 40 वर्ष के युवा रत्नेश कुशवाहा शुरू से ही संघ से जुड़े रहे हैं. पटना कॉलेज का छात्र रहते हुए वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े थे. इसके बाद लगातार छोटे कार्यकर्ता के रूप में वो बीजेपी के लिए काम करते रहे.
बताया जाता है कि पार्टी में रत्नेश कुशवाहा का कद पार्टी में बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन सुशील मोदी अपने सारे काम इनसे करवाते थे. क्योंकि रत्नेश को कानून की अच्छी जानकारी शुरू से रही है.
बीजेपी द्वारा टिकट की घोषणा
14 अक्टूबर 2025 को बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली सूची जारी की, जिसमें रत्नेश कुशवाहा को पटना साहिब सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया. यह सीट पहले विधानसभा स्पीकर नंदकिशोर यादव के पास थी, जिनका टिकट काटकर रत्नेश को यह जिम्मेदारी दी गई है.
क्या कहा रत्नेश कुशवाहा ने?
रत्नेश कुशवाहा ने बीजेपी द्वारा उन्हें टिकट दिए जाने पर आभार व्यक्त किया और उन्होंने पार्टी के निर्णय को सराहा. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक नई जिम्मेदारी है और वे जनता की सेवा में पूरी निष्ठा से कार्य करेंगे.
विधानसभा चुनाव के लिहाज से पटना साबिह इलाके के जातीय समीकरण की बात करें तो 70 हजार कुशवाहा जाति का वोट है. वैश्य की संख्या 85 से 90 हजार है. वैश्य में कई उपजातियां हैं, जिसका वोट कुछ इधर-उधर भी होता रहा है. यहां से अधिकांश वोट बीजेपी को मिलता रहा है.
पटना साहिब सीट इलाके में मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 से 40 हजार के करीब है. 20 से 25 हजार यादव मतदाता हैं. साल 2015 में पटना के पूर्व उप मेयर रहे संतोष मेहता को आरजेडी से टिकट दिया गया था, जिसके बाद नंद किशोर यादव की जीत मात्र ढाई हजार वोटों के अंतर से हुई थी. कुछ वोट जाति के आधार पर संतोष मेहता को मिल गया था.
साल 2020 में कांग्रेस ने प्रवीण कुशवाहा को टिकट दिया था, लेकिन जीत नंद किशोर यादव की हुई. वोट का मार्जिन कम रहा था. अब ऐसे में बीजेपी कुशवाहा जाति को नजरअंदाज करके नहीं चलना चाहती थी और नंद किशोर यादव को हटाकर यहां से कुशवाहा जाति को उम्मीदवार बनाया गया है.