'हर घर तिरंगा' अभियान
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस हर भारतीय के दिल के बेहद करीब होता है. इस दिन देशभर में झंडा फहराने, परेड देखने और देशभक्ति गीत गाने का खास उत्साह रहता है। हम 15 अगस्त के बेहद करीब हैं, देश अपने आजादी के नायकों को याद कर रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। देश के प्रधानमंत्री कुछ ही घंटों में देश को संबोधित करने वाले हैं। देशवासी 'हर घर तिरंगा' के जरिए अपने घरों पर तिरंगा लागाकर आजादी का जश्न मना रहे हैं।
क्या है 'हर घर तिरंगा' अभियान
हर घर तिरंगा' एक अभियान है जो आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में लोगों को तिरंगा घर लाने और भारत की आज़ादी के प्रतीक के रूप में इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था। यह इस विचार से उपजा है कि राष्ट्रीय ध्वज के साथ हमारा रिश्ता हमेशा व्यक्तिगत से ज़्यादा औपचारिक और संस्थागत रहा है। इस प्रकार, एक राष्ट्र के रूप में सामूहिक रूप से ध्वज को घर लाना न केवल तिरंगे के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव का प्रतीक बन गया, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक बन गया। इस पहल के पीछे का उद्देश्य लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। संस्कृति मंत्रालय, 'हर घर तिरंगा' के लिए नोडल मंत्रालय है।
तिरंगे का इतिहास
तिरंगा, भारत का राष्ट्रीय ध्वज, 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था. यह तीन क्षैतिज पट्टियों से बना है: केसरिया, सफेद और हरा, जिसमें सफेद पट्टी के बीच में अशोक चक्र है. केसरिया रंग साहस और त्याग का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सत्य का, और हरा रंग विश्वास और समृद्धि का. अशोक चक्र 24 तीलियों वाला एक पहिया है, जो न्याय और प्रगति का प्रतीक है। आज हम उसी झंडे पर बात करेंगे भारत का झंडा जिसको हम सब प्यार से तिरंगा कह कर बुलाते हैं। आज हम जिसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में देख रहे हैं, उसका यह स्वरूप कई परिवर्तनों के बाद आया। मैडम भीकाजी कामा, सिस्टर निवेदिता, एनी बेसेंट, लोकमान्य तिलक आदि ना जाने कितने लोगों ने इस कार्य में अपना योगदान दिया है। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में पूर्ण स्वराज की पहली बार मांग की गई थी। इसी कड़ी में 31 दिसंबर 1929 को रावी नदी के तट पर भारत में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। इस ध्वज ने आजादी की लड़ाई में ना जाने कितने लोगोंको संगठित करने में अहम भूमिका निभाई थी। किसी भी देश का संविधान, उसकी करेंसी, उसकी सेना, उसका झंडा यह कुछ चीजें होती हैं जो उस देश के लोगों को जोड़ती हैं और उस देश से बाहर की दुनिया में उस देश का विशेष प्रतीक होती हैं। भारतीय तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। इससे पूर्व भी अलग-अलग रूपों में लोगों ने इसको बनाया और फहराया था।
गांधी जी भी राष्ट्रीय आंदोलन में झंडे के महत्व को बखूबी समझते थे। वास्तव में दुनिया भर में जितने बड़े आंदोलन और क्रांतियां हुई हैं उन सब में किसी न किसी झंडे का इस्तेमाल
अवश्य किया गया है। एक सैनिक नाम नमक निशान के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देता है। हम इससे ही झंडे के महत्व को समझ सकते हैं। हम सभी को अपने घर सम्मान सहित तिरंगे को फहराना है और अमर शहीदों को याद करना है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण को न्योछावर किया। आजादी के 79वें दिवस पर आप सबको ढेर सारी शुभकामनाएं।