प्रतीकात्मक AI तस्वीर
Gujarat Diwali News: जैन समुदाय ने अपनी जबरदस्त खरीद क्षमता का प्रदर्शन करते हुए 186 महंगी कारें खरीदकर चर्चा बटोर ली है. जैन अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठन (JITO) के उपाध्यक्ष हिमांशु शाह ने शनिवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि यह ‘अपनी तरह का अनूठा सौदा’ JITO द्वारा किया गया. इसमें बीएमडब्ल्यू, ऑडी और मर्सिडीज जैसी लक्जरी कारें शामिल थीं.
हिमांशु शाह ने कहा कि JITO एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसके पूरे भारत में 65,000 सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि ये 186 लक्जरी कारें, जिनकी कीमत 60 लाख रुपये से 1.3 करोड़ रुपये के बीच थी, इस साल जनवरी से जून के बीच उनके मालिकों को सौंप दी गईं. इस पूरे अभियान से जैन समुदाय को 21 करोड़ रुपये की कुल छूट और बचत मिली.
शाह ने स्पष्ट किया कि संगठन केवल एक सुविधा प्रदाता के रूप में काम कर रहा था और इस सौदे से उसे कोई वित्तीय लाभ नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि इन कारों में अधिकांश खरीदारी गुजरात के जैन समुदाय के लोगों ने ही की.
इस पहल के सूत्रधार नितिन जैन ने बताया कि यह योजना तब शुरू हुई जब कुछ JITO सदस्यों ने सुझाव दिया कि समुदाय की मजबूत खरीद क्षमता का फायदा उठाकर कार निर्माता कंपनियों से भारी छूट ली जाए. नितिन जैन ने कहा, "हमने अपने सदस्यों के लिए ज्यादा छूट सुनिश्चित करने के लिए ब्रांड से सीधे संपर्क करने का विचार किया. कार निर्माता कंपनियों ने भी इसे फायदेमंद समझा क्योंकि इस सौदे से उनकी मार्केटिंग लागत कम हुई."
उन्होंने यह भी बताया कि जब छूट की जानकारी बाहर फैलने से पहले कुछ सदस्यों ने कारें खरीदना शुरू कर दीं, तो इसके बाद धीरे-धीरे बाकी सदस्य भी शामिल हो गए. नितिन जैन ने मजाकिया अंदाज में कहा, "जल्द ही अन्य JITO सदस्यों ने भी कारें खरीदना शुरू कर दिया. कुल मिलाकर, 186 कारें खरीदी गई और 21 करोड़ रुपये की बचत हुई. औसतन, हर सदस्य ने 8 लाख से 17 लाख रुपये की बचत की, जो किसी परिवार के लिए दूसरी कार खरीदने के लिए भी पर्याप्त है."
हिमांशु शाह ने आगे बताया कि JITO इस सफलता से बहुत उत्साहित है और अब उन्होंने ‘उत्सव’ नाम से एक नई योजना शुरू की है. इस योजना में आभूषण, टिकाऊ उपभोक्ता सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रमुख ब्रांड के साथ इसी तरह के ऑफर और डिस्काउंट दिए जाएंगे. इसका उद्देश्य समुदाय के सदस्यों को बड़े पैमाने पर खरीदारी में आसानी और फायदे देना है.
JITO के इस प्रयास ने न केवल जैन समुदाय की खरीद क्षमता को प्रदर्शित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि सामूहिक पहल और रणनीति से महंगे उत्पादों पर भी बेहतर छूट हासिल की जा सकती है. इस पूरे अभियान में संगठन ने सदस्यों की सुविधा का ध्यान रखा और हर सदस्य को लाभ पहुँचाने की कोशिश की गई.