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Son of Sardaar 2 Review: 2012 में आई अजय देवगन की कॉमेडी फिल्म ‘सन ऑफ सरदार’ ने दर्शकों को खूब हंसाया था. अब करीब 12 साल बाद उसी मस्ती और मजेदार अवतार में लौटे हैं जस्सी पाजी, यानी अजय देवगन, अपनी नई फिल्म ‘सन ऑफ सरदार 2’ के साथ. निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा इस बार भी दर्शकों को दिमाग की छुट्टी कर ब्रेनलेस एंटरटेनमेंट का मौका देते हैं.
फिल्म की शुरुआत जस्सी और डिंपल की शादी से होती है. जस्सी भारत में अपने खुशहाल घर का सपना देख रहा है, जबकि उसकी पत्नी डिंपल विदेश में है. सालों बाद वीजा मिलने पर जस्सी उसके पास जाता है, लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि वह दुखी होकर राबिया (मृणाल ठाकुर) के घर किरायेदार बनकर रहने लगता है.
राबिया की सौतेली बेटी सबा एक पाकिस्तानी लड़की है और उसका दिल भारतीय लड़के गोगी पर आ गया है. लेकिन गोगी का पिता राजा (रवि किशन) पाकिस्तान से सख्त नफरत करता है. सबा चाहती है कि गोगी उसे भगाकर ले जाए, लेकिन गोगी सबकुछ सही तरीके से करना चाहता है. इस उलझन को सुलझाने के लिए जस्सी एक फर्जी कड़क पिता बनता है, और यहीं से शुरू होता है एक के बाद एक हंसी का तड़का.
अजय देवगन का कॉमिक अंदाज़ इस बार भी उतना ही दिलचस्प है जितना पहले था. मृणाल ठाकुर, कुब्रा सैत, रोशनी वालिया और दीपक डोबरियाल जैसे कलाकारों ने भी बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है. रवि किशन का देशभक्त पिता वाला किरदार मज़ेदार है. वहीं, नीरू बाजवा का कैमियो, मुकुल देव की अंतिम उपस्थिति और रोहित शेट्टी की एंट्री फिल्म को अलग अंदाज़ में खत्म करती है.
हालांकि फिल्म में कई कमियां हैं. कहानी कई जगह भटकती है, कुछ सीन्स खिंचे हुए लगते हैं लेकिन अगर आप लॉजिक की बजाय मज़ा लेने सिनेमाघर पहुंचे हैं तो ये फिल्म आपको निराश नहीं करेगी. सन ऑफ सरदार 2 एक मसालेदार पंजाबी तड़का है जो सिर्फ मस्ती के लिए बना है.