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Rishi Kapoor Depression: ऋषि कपूर 70 और 80 के दशक के एक बहुत बड़े फ़िल्मी सितारे थे. उनकी फ़िल्में आमतौर पर हिट होती थीं और लोग उन्हें खूब पसंद करते थे लेकिन 1980 में जब उनकी फ़िल्म 'कर्ज' रिलीज़ हुई, तो उनके साथ एक ऐसी घटना घटी जिससे वे बहुत दुखी हुए. 'कर्ज' फ़िल्म के निर्देशक सुभाष घई ने बताया कि ऋषि कपूर को इस फ़िल्म से बहुत उम्मीदें थीं. उन्होंने फ़िल्म में बहुत मेहनत की थी और उन्हें पूरा विश्वास था कि यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट होगी.
फ़िल्म की कहानी, गाने और अभिनय, सब दमदार थे लेकिन उसी हफ़्ते 'क़ुर्बानी' नाम की एक और बड़ी फ़िल्म भी रिलीज़ हुई, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. इस वजह से 'कर्ज' को उतनी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. जब 'कर्ज' को शुरुआत में सफलता नहीं मिली, तो ऋषि कपूर बहुत निराश हो गए. उन्हें लगा कि फ़िल्म फ्लॉप हो गई है. वे इससे इतने परेशान हो गए कि डिप्रेशन में चले गए. उनकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
सुभाष घई ने बताया कि ऋषि कपूर ने फिल्म के हर सीन के लिए खूब मेहनत की थी. उन्होंने अपने दोस्तों को फिल्म के प्रीव्यू भी दिखाए थे और उन्हें पूरा यकीन था कि फिल्म हिट होगी. जब ऐसा नहीं हुआ, तो उन्हें गहरा सदमा लगा. उनके पिता राज कपूर ने सुभाष घई को फोन किया और कहा, "अपने दोस्त को समझाओ, वह बहुत उदास हो गया है."
हालांकि, कुछ हफ़्तों बाद लोगों को यह फिल्म पसंद आने लगी और समय के साथ 'कर्ज' एक कल्ट क्लासिक मानी जाने लगी. इसके गाने 'ओम शांति ओम', 'दर्द-ए-दिल' और 'एक हसीना थी' आज भी बहुत मशहूर हैं. बाद में हिमेश रेशमिया ने इस फिल्म का रीमेक भी बनाया.
इस किस्से से हमें समझ आता है कि एक बड़ा सितारा भी बहुत दुखी होता है जब उसकी मेहनत पर उसकी मेहनत की कद्र नहीं होती. लेकिन अच्छा काम हमेशा अपनी छाप छोड़ता है -भले ही देर से ही सही. ऋषि कपूर ने जो दर्द सहा, वही आज उनकी शानदार फिल्म की सफलता में बदल गया है.