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धूम्रपान नहीं फिर भी फेफड़ों का कैंसर! जानिए इसके चौंकाने वाले कारण

File

फाइल फोटो

Lung Cancer: जब फेफड़ों के कैंसर की बात आती है, तो लोग अक्सर इसे धूम्रपान से जोड़ते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में, एक आश्चर्यजनक प्रवृत्ति सामने आई है. अब बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, अमेरिका में फेफड़ों के कैंसर के 20 फीसद मामले ऐसे हैं जिनका धूम्रपान से कोई संबंध नहीं था। कुछ एशियाई देशों में, यह आंकड़ा 50 फीसद तक पहुंच गया है, खासकर महिलाओं में।

इस बदलाव के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है वायु प्रदूषण। PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण, जो सांस के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं, फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचाकर कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से इस बीमारी के होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। एक अन्य महत्वपूर्ण कारण रेडॉन गैस है, जो मिट्टी और चट्टानों में मौजूद यूरेनियम के टूटने से निकलती है। यह गैस घरों की दीवारों या फर्श की दरारों से प्रवेश कर सकती है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहना फेफड़ों के लिए घातक है।

इसके अलावा, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) और एपस्टीन-बार वायरस (EBV) जैसे वायरस भी इस कैंसर का कारण बन सकते हैं। एक और अहम कारण है सेकेंड हैंड स्मोकिंग, यानी अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान नहीं करता, लेकिन ऐसे माहौल में रहता है जहां लोग सिगरेट पीते हैं, तो वह भी इस बीमारी का शिकार हो सकता है। कुछ मामलों में यह बीमारी वंशानुगत यानी जेनेटिक कारणों से भी होती है। वहीं, गांवों या गरीब इलाकों में लकड़ी, गोबर या कोयले से खाना पकाते समय निकलने वाला धुआं भी महिलाओं में इस बीमारी का एक बड़ा कारण है।

यह स्थिति चिकित्सा विज्ञान के लिए भी एक चुनौती है, क्योंकि इससे पता चलता है कि फेफड़ों का कैंसर अब सिर्फ़ धूम्रपान से जुड़ी बीमारी नहीं रह गई है। समय पर जांच, जागरूकता और स्वच्छ वातावरण इस बीमारी को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

Bindass Bol Dil Se

Written by: Taushif

26 Jul 2025 (Published: 04:56 IST)